बौद्धिक सम्पदा अधिकार से क्षमतावर्धन

डॉ0 अनीता
असि0 प्रो0०- राजनीति विज्ञान
माता भगवती देवी राजकीय महिला महाविद्यालय
ऑवलखेड़ा, आगरा ।

मनुष्य अपनी विचारशीलता, विवेक व बुद्धि से नवीन आविष्कार व रचनाओं
को जन्म देता है। विशेष प्रकार के आविष्कार व रचनाओं को जन्म देना उसका बौद्धिक
अधिकार है। मानव जाति के प्रारम्भ काल से ही, मनुष्य अपने अधिकारों को लेकर सजग
रहा है। “इंग्लैण्ड का सन्‌ 1215 का मैग्नाकार्टा घोषणा पत्र”, “बिल ऑफ राइट्स-1689””
“अमरीका का सन्‌ 1776 का स्वतंत्रता का घोषणा-पत्र”, “फ्रांस की राज्य क्रांति-1789″,
“अमरीकी अधिकार घोषणा-पत्र -1794”, अमरीका के संविधान में अधिकारों को सन्‌ 1787
में सम्मिलित किया जाना और संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा 10 दिसम्बर, 1948 को अधिकारों का
सार्वभौमिक घोषणा पत्र का अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर लागू होना, यह सभी घटनाएं प्रदर्शित
करती है कि मनुष्य सदैव अपने अधिकारों की प्राप्ति व उसके संरक्षण के लिए प्रयासरत
रहा है। अधिकार व्यक्ति के शारीरिक, मानसिक व व्यक्तित्व विकास हेतु अति आवश्यक
है। अधिकारों की मान्यता मनुष्य के लम्बे संघर्ष के फलस्वरुप अवस्थापित हो सकी है।
राष्ट्रीय-अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर अवस्थापित विधि संहिताएँ प्रत्येक व्यक्ति को ऐसा जीवन स्तर
प्राप्त करने का अधिकार प्रदान करती हैं, जो व्यक्ति व उसके परिवार क स्वास्थ्य कल्याण
एवं विकास के लिए आवश्यक है। मनुष्य का आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनैतिक,
नागरिक, शैक्षिक आदि अधिकारों के प्राप्त होने के साथ-साथ कानून के समक्ष समानता
का भी अधिकार प्राप्त होता है। यद्यपि इन अधिकारों का उपभोग तथाकथित शर्तों के
अधीन भी हो सकता है।

मानव बुद्धि से निर्मित रचना, आविष्कार, संगीत, कला, चित्र, साहित्यिक कृति
उसकी बौद्धिक संपदा है। इस बौद्धिक संपदा को संरक्षित करना हमेशा से चिन्ता का
विषय रहा है। व्यक्ति अपनी नवीन रचनाओं का आविष्कार करता है, इन रचनाओं का कोई
अन्य व्यक्ति अपने निजी लाभ के लिए प्रयोग करे। यह रचनाकार व्यक्ति के अधिकारों का
हनन है। इस विषय पर व्यापक स्तर पर चर्चा हुई तो संयुक्त राष्ट्र संघ की एजेन्सी विश्व
बौद्धिक संपदा संगठन का गठन 1967 में हुआ। फिलिस्तीन को इसका स्थायी पर्यवेक्षक
बनाया गया वर्तमान समय में 193 देश इस संगठन के सदस्य हैं। संयुक्त राष्ट्र के सभी
सदस्य देश इसके सदस्य बन सकते हैं। इसका मुख्यालय जिनेवा, स्विजरलैण्ड में है।
इसका गठन सम्बन्धित देशों के साथ रचनात्मकता का संरक्षण करने व विश्व में बौद्धिक
संपदा संरक्षण को बढ़ावा देना है। भारत 1975 में इसका सदस्य बना।

वर्तमान समय में बौद्धिक सम्पदा अधिकारों का महत्व बढ़ गया है। लेकिन
भारत में अभी भी बौद्धिक सम्पदा अधिकारों के प्रति लोगों में जानकारी का अभाव पाया
जाता है। व्यापक स्तर पर लोगों में बौद्धिक सम्पदा अधिकारी के विषय में प्रसार करने के उद्देश्य से 26 अप्रैल को बीद्धिक सम्पदा दिवस मनाया जाता है। 26 अप्रैल 1970 को
विश्व बौद्धिक संपदा संगठन का कन्वेन्शन होने के कारण 26 अप्रैल का दिवस विश्व
बौद्धिक संपदा दिवस के रुप में मनाया जाता है। बौद्धिक सम्पदा अधिकार व्यक्ति अथवा
कम्पनी को उनकी रचनात्मकता के संरक्षण के लिए प्रदान किया जाता है। इस अधिकार
का उद्देश्य व्यक्ति को उसके विवेक / बुद्धि आधारित आविष्कार, रचना, कला, खोज, आदि
के लिए प्रोत्साहित करने के साथ-साथ उसकी रचनात्मकता को संरक्षित करना भी है।
व्यक्ति अथवा व्यक्ति समूह विशेष के द्वारा किया गया कोई नवीन आविष्कार न केवल
रचनाकार को लाभान्वित करता है, वरन्‌ समाज को भी लाभान्वित करने का कार्य करता
है। लेकिन रचनाकार की रचना अथवा आविष्कार का कोई अन्य व्यक्ति अथवा व्यक्ति
समूह अपने निजी स्वार्थ के लिए दुरुपयोग न करे, इसके लिए बौद्धिक सम्पदा अधिकार के
तहत अनेक व्यवधान नियत किये गये हैं।

भारत में बौद्धिक संपदा अधिकार वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अधीन
औद्योगिक नीति एवं संवर्धन विभाग द्वारा प्रशासित है। भारत में बौद्धिक सम्पदा अधिकारों
की सुरक्षा के लिए एक व्यवस्थित वैधानिक, प्रशासनिक व न्यायिक ढांचा है। भारत में
बौद्धिक सम्पदा अधिकार सम्बन्धी पेटेन्ट अधिनियम, 1970 (2005 में संशोधित) व्यापार चिन्ह
अधिनियम, 1999 (संशोधित 2010), माल के भोगौलिक उद्देश्य (पंजीकरण एवं संरक्षण)
अधिनियम 1999, डिजाइन अधिनियम 2000, प्रतिलिप्याधिकार अधिनियम 1957 (1912 में
संशोधित) एवं पौध किस्त और कृषक अधिकार संरक्षण अधिनियम 2004 सम्मिलित हैं।
प्रतिस्पर्धा अधिनियम 2002 एवं जव विविधता अधिनियम 2002, कानून बौद्धिक सम्पदा
अधिकारों से सम्बन्धित मामलों का समाधान करने की दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं। निम्नलिखित
07 बौद्धिक सम्पदा अधिकार प्रमुखतः है-

  1. पेटेंट
  2. व्यापार चिन्ह (ट्रेडमार्क) नीति एवं संवर्धन विभाग
  3. डिजाइन उत्तरदायी है।
  4. भौगोलिक उद्देश्य या संकेतक
  5. प्रतिलिप्याधिकार- उच्चतर शिक्षा विभाग से सम्बन्धित
  6. अर्द्धालक एकीकृत परिपथ अभिन्यास डिजाइन- सूचना प्रौद्योगिकी विभाग से सम्बन्धित
  7. पौध किस्त व कृषक अधिकार- कृषि सहकारिता- विभाग से सम्बन्धित
    (संपदा अधिनियम 2004) 
  1. पेटेंट :– पेटेंट नवीन मौलिक आविष्कार के लिए प्रदान किया जाता है। ऐसा
    आविष्कार जो औद्योगिक क्षेत्र के लिए उपयोगी हो। औषधि इत्यादि का पेटेंट लिया
    जा सकता है। एक बार पेटेंट प्रदान किये जाने वाले पेटेंट की अविध 20 वर्षों तक
    होती है।
  2. ट्रेडमार्क :- ट्रेडमार्क एक ऐसी विशिष्ट पहचान है जो एक उपक्रम की वस्तु या
    सेवा का दूसरे उपक्रम की वस्तु या सेवा से भेद निश्चित व स्पष्ट कर सके।
    ट्रेडमार्क, ब्रांड, लेबल, पैकेजिंग, चित्र, प्रतीक, वस्तुओं का आकार, रंग या रंगों का
    संयोजन हो सकता है। एक विशेष प्रकार के चिन्ह या आकृति को कोई व्यक्ति या
    व्यक्ति समूह अथवा कम्पनी अपने विशेष उत्पाद के लिये पंजीकृत करा सकता है।
  3. भौगोलिक संकेतक :– भौगोलिक संकेतक से तात्पर्य देश के किन्‍्ही विशेष क्षेत्रों
    में मूलतः अथवा प्राकृतिक रुप से विख्यात व प्रसिद्धि के कारण केवल उसी स्थान
    के लिए अनिवार्य रुप से सम्बद्ध किया जा सकता है। जैसे- बनारस की साड़ी,
    आगरा का पेठा, नागपुर का संतरा, आदि। 300 से अधिक वस्तुओं को भौगोलिक
    संकेतक की सूची में शामिल किया गया है। इन पर किसी निश्चित व्यक्ति या
    व्यक्ति समूह का पेटन्ट या कॉपीराइट नहीं मिल सकता।
  4. प्रतिलिप्याधिकार (कॉपीराइट) :- कॉपीराइट के माध्यम से कोई रचनाकार अपने
    लेख, कविता, कहानी, साहित्य, संगीत, ध्वनि इत्यादि को संरक्षित व सुरक्षित कर
    सकता है।
  5. औद्योगिक डिजाइन :- औद्योगिक डिजाइन यथा आकृति के निर्माण, रंग, स्वरुप
    आदि से सम्बन्धित है।
  6. पादप प्रजाति संरक्षण :- इसके द्वारा किसानों को पौधों की प्रजाति व नयी
    किस्मों के विकास के लिए प्रोत्साहित किया जाना है।

ब्रिक्स हिपों (बौद्धिक संपदा कार्यालयों के प्रमुख) की 8वीं बठक भारत की
अध्यक्षता में 06 अप्रैल 2017 को नई दिल्ली में हुई। ब्रिक्स देशों के सभी बौद्धिक सम्पदा
कार्यालयाध्यक्षों ने इस बैठक में अपने प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया। ब्रिक्स देशों के कुल
17 प्रतिभागियों ने इस बैठक में भाग लिया।

आजादी के अमृत महोत्सव को भारतवर्ष में व्यापक स्तर पर मनाया जा रहा
है। भारत सरकार ने 15 अगस्त 2021 से 15 अगस्त 2022 तक बौद्धिक संपदा अधिकार से
सम्बन्धित प्रशिक्षण व जागरुकता 10 लाख छात्र-छात्राओं को प्रदान करने का लक्ष्य रखा
है। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के द्वारा प्रसारित आंकड़ों के मध्य नजर भारत में पिछले
07 वर्षा के पेटेंट प्रदान करने में 572 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है। वर्ष 2020-21
में 28,391 पेटेंट प्रदान किये गये हैं। भारत में बौद्धिक संपदा पुरस्कार 2020 भी प्रदान
किये गये हैं। ट्रेडमार्क की बात की जाय तो वर्ष 2016-2020 के दौरान 14.2 लाख
ट्रेडमार्क पंजीकृत किय गये हैं। ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स में भी भारत की रैंकिंग बढ़कर
48वें स्थान पर आई है, जो कि 2015-16 में 81वें स्थान पर थी।

बौद्धिक संपदा अधिकार के माध्यम से व्यक्ति अपनी कला, रचना अथवा आविष्कार का व्यापक स्तर पर न केवल प्रसार व संरक्षण कर सकता है, बल्कि अपनी इस सृजनशीलता को अपनी आमंदनी का उत्कृष्ट माध्यम भी बना सकता है। भारत में पेटेंट, व्यापार चिन्ह, डिजाइन, आविष्कार, भौगोलिक संकेतक, प्रतिलिप्याधिकार (कॉपीराइट) आदि से सम्बन्धित ऑनलाइन ई-फाइलिंग की अच्छी सुविधा प्राप्त है। ऑनलाइन फाइलिंग में कुछ शुल्क रियायतें भी प्रदान की जा रही हैं। ऑनलाइन फाइलिंग पर 10 प्रतिशत की छूट स्टार्ट-अप व छोटी संस्थाओं के लिए 80 प्रतिशत शुल्क रियायत, इत्यादि। ऑनलाइन आई.पी.आर. फाइलिंग प्रक्रिया अधिक संक्षिप्त, समयबद्ध, अनुकूल, ई-लेनदेन अनुकूल व संगत है। ई-फाइलिंग सुविधा अपेक्षाकृत अधिक पारदर्शक व सुलभ पहुँचदायक है। बौद्धिक संपदा अधिकार से सम्बन्धित पेटेंट, औद्योगिक डिजाइन, भौगोलिक संकेतक, प्रतिलिप्याधिकार (कॉपीराइट) इत्यादि से सम्बन्धित सूचना व ई-फाइलिंग की प्रक्रिया से सम्बन्धित जानकारी महानियंत्रक एकस्व अभिकल्प, व्यापार चिन्ह व भौगोलिक उपदर्शन की साइट से प्राप्त की जा सकती है।

बौद्विक सम्पदा अधिकार “ब्रेन ऑफ इंडिया” को पोषित करने का कार्य कर रहे हैं। इसके माध्यम से व्यक्ति की सबसे मूल्यवान परिसंपत्ति को और अधिक क्षमतावान बनाने का कार्य किया गया है। वैश्विक अर्थव्यवस्था में भारत की प्रभावी प्रतिस्पर्धात्मक पहचान को और अधिक श्रेष्ठ बनाने के लिये बौद्धिक संपदा अधिकारों का समृद्ध, सुनियोजित, संरक्षित व पारदर्शित होना अति आवश्यक है। भारत में बौद्धिक संपदा अधिकारों का व्यापक स्तर पर प्रचार-प्रसार करना भी अति आवश्यक है, जिससे “‘स्टार्ट-अप इंडिया”, “मेक इन इंडिया” व “डिजाइन इन इंडिया” के लक्ष्य को सफलतापूर्वक प्राप्त किया जा सके।

संदर्भ गंथ सूची :-

  1. भारतीय बौद्धिक संपदा अधिकार रणनीति।
  2. सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम, निर्माण भवन, नई दिल्ली द्वारा प्रकाशित- आई.पी. आर. जागरुकता निर्माण योजना कार्यान्वयन- 2010
  3. भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय की बेबसाइट से प्राप्त सूचनाएं व आंकड़ें।
  4. राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा अधिकार नीति, 2016

pratibha

combined e-magazine for session 2019-20, 2020-21, 2021-22 published by Mata Bhagwati Devi Rajkiya Mahila Mahavidyalay

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