– संध्या भारद्वाज
पुत्री श्री राजकिशोर शर्मा
बी .ए. प्रथम वर्ष
दिन देखे न देखे रात,
मुसीबत में दे सबका साथ।।
खाने-पीने का नहीं है ध्यान,
बस देखें वो सबके काम।।
भागदौड़ वो करतीं दिनभर,
थक जाती वो हाँफ-हाँफकर।।
अपना दर्द छुपा कर रखती ,
सुख हो या दुख वो मुस्काती ।।
अपने बारे में नहीं सोचती ,
हम सब पर है जान छिड़कती ।।
साथ हमारे सदा है रहती ,
दिल बनके हममें है धड़कती ।।
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